Wellcome

सपने बेचने वालो की खामोशी भी उनके बोलियों से ज्यादा महँगी होती है जनाब चंद पल की जिंदगी वक्त के बहाव मे है यहा हर शक्स अपने ही तनाव मे है हमने तो यु ही लगा दी तोहमत पाणी पर देखा नही की की छेद तो अपनी ही नाव मे है

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

चुनाव 2024


 भारत मे होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव के नतिजे भारत का नया प्रधानमंत्री तय करेंगे यदी बिजेपी 272 का जादुई आकडा अकेले अपने दम पर पार कर लेती है तो नरेंद्र मोदी तिसरी बार देश के प्रधानमंत्री हो सकते है. यदी बिजेपी 272 का आकडा अकेले अपने दम पर पार नही कर पाई और 230 या 240 पर अटक जाती है तो यकीनन देश नये प्रधानमंत्री नितिन गडकरी हो सकते है. नरेंद्र मोदी जोडतोड की सरकार नही चला सकते यह इतिहास है गुजरात और देश के 10 सालके प्रधानमंत्री पद का. लगभग आधे से ज्यादा पार्टीया मोदीजी के काम को सहन नही कर सकती. देश मे 200 से 220 के आसपास INDIA आघाडी को सिटे मिल सकती है ट परीवेश मे अन्य दल महत्वपूर्ण भुमिका निभायेंगे

मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

कर भला तो हो भला

एक बार मृत्यू के देवता यम एक इंसान के प्राण हरने के लिये मृत्युलोक पहोचे मृत्युलोक पर एक भव्य भोजनदान का  कार्यक्रम चल रहा था हजारो लोग वहा खाना खा रहे थे सेकडो लोग खाना परोस रहे थे उनही मे से एक व्यक्ती को लेने के लिये यम धरती पर आये थे उस व्यक्ती की धार्मिक कृती देखकर यम प्रसन्न हो गये सब के बीच प्राण हरने से लोगो को बडी असुविधा होगी इसलिये उसे घर जाने तक यम रुके जैसे ही वो व्यक्ती अपने घर के द्वार पर पहोचा यम ने कहा तुम्हारी अभी जल्द ही मृत्यू हो जायेगी मै तुमारे प्राण लेने आया हु मगर तुम अच्छा काम करके आये हो तो इस मृत्यू की किताब मे हर पन्ने पर स्याही समाप्त होने तक अपनी राय लिखो तूम जो भी लिखोगे वह सत्य होगा पहला पन्ना खोल कर देखा तो उस पर पडोसी के घर करोड रुपयो की लॉटरी लगेगी ऐसा लिखा था यह देखकर वह व्यक्ती आग बाबुला हो गया और उसे लॉटरी न लगे ऐसे लिख दिया उसका नुकसान हो ऐसे लिखा अगले पन्ने पर उसके रीस्तेदार को बडे अफसर बनने का अवसर लिखा था उसे वो भी पसंद नही आया ओउर उसने उसे प्रमोशन न मिले ऐसे लिख दिया तिसरे पन्ने पर उसके पडोसी को किसी स्पर्धा मे कार मिलने वाली ही ऐसे दिखा तो उसने फिर से गालात ही लिख दिया ऐसा करते आखरी पन्ने पर जब अपने लिये लिखना था तब पेन की स्याही खतम हो गई चाह्कर भी वो लिख नही पाया ऐसे ही हमारे जीवन मे औरो के लिये गालात व्यवहार से हमारा कभी भला नही हो पाता 

शनिवार, 18 नवंबर 2023

कर्मफल का भोग कभी टलता नहीं ।



एक राजा बड़ा धर्मात्मा, न्यायकारी और परमेश्वर का भक्त था। उसने ठाकुरजी का मंदिर बनवाया और एक ब्राह्मण को उसका पुजारी नियुक्त किया। वह ब्राह्मण बड़ा सदाचारी, धर्मात्मा और संतोषी था। वह राजा से कभी कोई याचना नहीं करता था, राजा भी उसके स्वभाव पर बहुत प्रसन्न था। उसे राजा के मंदिर में पूजा करते हुए बीस वर्ष गुजर गये। उसने कभी भी राजा से किसी प्रकार का कोई प्रश्न नहीं किया। ,राजा  के यहाँ एक लड़का पैदा हुआ। राजा ने उसे पढ़ा लिखाकर विद्वान बनाया और बड़ा होने पर उसकी शादी एक सुंदर राजकन्या के साथ करा दी। शादी करके जिस दिन राजकन्या को अपने राजमहल में लाये उस रात्रि में राजकुमारी को नींद न आयी। वह इधर-उधर घूमने लगी जब अपने पति के पलंग के पास आयी तो क्या देखती है कि हीरे जवाहरात जड़ित मूठेवाली एक तलवार पड़ी है।जब उस राजकन्या ने देखने के लिए वह तलवार म्यान में से बाहर निकाली, तब तीक्ष्ण धारवाली और बिजली के समान प्रकाशवाली तलवार देखकर वह डर गयी व डर के मारे उसके हाथ से तलवार गिर पड़ी और राजकुमार की गर्दन पर जा लगी। राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया।राजकन्या पति के मरने का बहुत शोक करने लगी। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि 'हे प्रभु ! मुझसे अचानक यह पाप कैसे हो गया? पति की मृत्यु मेरे ही हाथों हो गयी। आप तो जानते ही हैं, परंतु सभा में मैं सत्य न कहूँगी क्योंकि इससे मेरे माता-पिता और सास-ससुर को कलंक लगेगा तथा इस बात पर कोई विश्वास भी न करेगा।प्रातःकाल में जब पुजारी कुएँ पर स्नान करने आया तो राजकन्या ने उसको देखकर विलाप करना शुरु किया और इस प्रकार कहने लगीः "मेरे पति को कोई मार गया।" लोग इकट्ठे हो गये और राजा साहब आकर पूछने लगेः "किसने मारा है?"वह कहने लगीः "मैं जानती तो नहीं कि कौन था। परंतु उसे ठाकुरजी के मंदिर में जाते देखा था" राजा समेत सब लोग ठाकुरजी के मंदिर में आये तो ब्राह्मण को पूजा करते हुए देखा।उन्होंने उसको पकड़ लिया और पूछाः "तूने राजकुमार को क्यों मारा?"ब्राह्मण ने कहाः "मैंने राजकुमार को नहीं मारा। मैंने तो उनका राजमहल भी नहीं देखा है। इसमें ईश्वर साक्षी हैं। बिना देखे किसी पर अपराध का दोष लगाना ठीक नहीं।"ब्राह्मण की तो कोई बात ही नहीं सुनता था। कोई कुछ कहता था तो कोई कुछ.... राजा के दिल में बार-बार विचार आता था कि यह ब्राह्मण निर्दोष है परंतु बहुतों के कहने पर राजा ने ब्राह्मण से कहाः,"मैं तुम्हें प्राणदण्ड तो नहीं देता लेकिन जिस हाथ से तुमने मेरे पुत्र को तलवार से मारा है, तेरा वह हाथ काटने का आदेश देता हूँ।"ऐसा कहकर राजा ने उसका हाथ कटवा दिया। इस पर ब्राह्मण बड़ा दुःखी हुआ और राजा को अधर्मी जान उस देश को छोड़कर विदेश में चला गया। वहाँ वह खोज करने लगा कि कोई विद्वान ज्योतिषी मिले तो बिना किसी अपराध हाथ कटने का कारण उससे पूछूँ।

किसी ने उसे बताया कि काशी में एक विद्वान ज्योतिषी रहते हैं। तब वह उनके घर पर पहुँचा। ज्योतिषी कहीं बाहर गये थे, उसने उनकी धर्मपत्नी से पूछाः "माताजी ! आपके पति ज्योतिषी जी महाराज कहाँ गये हैं?"

तब उस स्त्री ने अपने मुख से अयोग्य, असह्य दुर्वचन कहे, जिनको सुनकर वह ब्राह्मण हैरान हुआ और मन ही मन कहने लगा कि "मैं तो अपना हाथ कटने का कारण पूछने आया था, परंतु अब इनका ही हाल पहले पूछूँगा।"

इतने में ज्योतिषी आ गये। घर में प्रवेश करते ही ब्राह्मणी ने अनेक दुर्वचन कहकर उनका तिरस्कार किया। परंतु ज्योतिषी जी चुप रहे और अपनी स्त्री को कुछ भी नहीं कहा। तदनंतर वे अपनी गद्दी पर आ बैठे। ब्राह्मण को देखकर ज्योतिषी ने उनसे कहाः "कहिये, ब्राह्मण देवता ! कैसे आना हुआ?"

"आया तो था अपने बारे में पूछने के लिए परंतु पहले आप अपना हाल बताइये कि आपकी पत्नी अपनी जुबान से आपका इतना तिरस्कार क्यों करती है? जो किसी से भी नहीं सहा जाता और आप सहन कर लेते हैं, इसका कारण है?"

"यह मेरी स्त्री नहीं, मेरा कर्म है। दुनिया में जिसको भी देखते हो अर्थात् भाई, पुत्र, शिष्य, पिता, गुरु, सम्बंधी - जो कुछ भी है, सब अपना कर्म ही है। यह स्त्री नहीं, मेरा किया हुआ कर्म ही है, और यह भोगे बिना कटेगा नहीं।

अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्। नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्पकोटिशतेरपि॥

'अपना किया हुआ जो भी कुछ शुभ-अशुभ कर्म है, वह अवश्य ही भोगना पड़ता है। बिना भोगे तो सैंकड़ों-करोड़ों कल्पों के गुजरने पर भी कर्म नहीं टल सकता।' इसलिए मैं अपने कर्म खुशी से भोग रहा हूँ और अपनी स्त्री की ताड़ना भी नहीं करता, ताकि आगे इस कर्म का फल न भोगना पड़े।"

"महाराज ! आपने क्या कर्म किया था?"

"सुनिये, पूर्वजन्म में मैं कौआ था और मेरी स्त्री गधी थी। इसकी पीठ पर फोड़ा था, फोड़े की पीड़ा से यह बड़ी दुःखी थी और कमजोर भी हो गयी थी। मेरा स्वभाव बड़ा दुष्ट था, इसलिए मैं इसके फोड़े में चोंच मारकर इसे ज्यादा दुःखी करता था। जब दर्द के कारण यह कूदती थी तो इसकी फजीहत देखकर मैं खुश होता था। मेरे डर के कारण यह सहसा बाहर नहीं निकलती थी किंतु मैं इसको ढूँढता फिरता था। यह जहाँ मिले वहीं इसे दुःखी करता था। आखिर मेरे द्वारा बहुत सताये जाने पर त्रस्त होकर यह गाँव से दस-बारह मील दूर जंगल में चली गयी। वहाँ गंगा जी के किनारे सघन वन में हरा-हरा घास खाकर और मेरी चोटों से बचकर सुखपूर्वक रहने लगी। लेकिन मैं इसके बिना नहीं रह सकता था। इसको ढूँढते-ढूँढते मैं उसी वन में जा पहुँचा और वहाँ इसे देखते ही मैं इसकी पीठ पर जोर-से चोंच मारी तो मेरी चोंच इसकी हड्डी में चुभ गयी। इस पर इसने अनेक प्रयास किये, फिर भी चोंच न छूटी। मैंने भी चोंच निकालने का बड़ा प्रयत्न किया मगर न निकली। 'पानी के भय से ही यह दुष्ट मुझे छोड़ेगा।' ऐसा सोचकर यह गंगाजी में प्रवेश कर गयी परंतु वहाँ भी मैं अपनी चोंच निकाल न पाया। आखिर में यह बड़े प्रवाह में प्रवेश कर गयी। गंगा का प्रवाह तेज होने के कारण हम दोनों बह गये और बीच में ही मर गये। तब गंगा जी के प्रभाव से यह तो ब्राह्मणी बनी और मैं बड़ा भारी ज्योतिषी बना। अब वही मेरी स्त्री हुई। जो मेरे मरणपर्यन्त अपने मुख से गाली निकालकर मुझे दुःख देगी और मैं भी अपने पूर्वकर्मों का फल समझकर सहन करता रहूँगा, इसका दोष नहीं मानूँगा क्योंकि यह किये हुए कर्मों का ही फल है। इसलिए मैं शांत रहता हूँ। अब अपना प्रश्न पूछो।"

ब्राह्मण ने अपना सब समाचार सुनाया और पूछाः "अधर्मी पापी राजा ने मुझ निरपराध का हाथ क्यों कटवाया?"

ज्योतिषीः "राजा ने आपका हाथ नहीं कटवाया, आपके कर्म ने ही आपका हाथ कटवाया है।"

"किस प्रकार?"

"पूर्वजन्म में आप एक तपस्वी थे और राजकन्या गौ थी तथा राजकुमार कसाई था। वह कसाई जब गौ को मारने लगा, तब गौ बेचारी जान बचाकर आपके सामने से जंगल में भाग गयी। पीछे से कसाई आया और आप से पूछा कि "इधर कोई गाय तो नहीं गया है?"

आपने प्रण कर रखा था कि 'झूठ नहीं बोलूँगा।' अतः जिस तरफ गौ गयी थी, उस तरफ आपने हाथ से इशारा किया तो उस कसाई ने जाकर गौ को मार डाला। गंगा के किनारे वह उसकी चमड़ी निकाल रहा था, इतने में ही उस जंगल से शेर आया और गौ एवं कसाई दोनों को खाकर गंगाजी के किनारे ही उनकी हड्डियाँ उसमें बह गयीं। गंगाजी के प्रताप से कसाई को राजकुमार और गौ को राजकन्या का जन्म मिला एवं पूर्वजन्म के किये हुए उस कर्म ने एक रात्रि के लिए उन दोनों को इकट्ठा किया। क्योंकि कसाई ने गौ को हंसिये से मारा था, इसी कारण राजकन्या के हाथों अनायास ही तलवार गिरने से राजकुमार का सिर कट गया और वह मर गया। इस तरह अपना फल देकर कर्म निवृत्त हो गया। तुमने जो हाथ का इशारा रूप कर्म किया था, उस पापकर्म ने तुम्हारा हाथ कटवा दिया है। इसमें तुम्हारा ही दोष है किसी अन्य का नहीं, ऐसा निश्चय कर सुखपूर्वक रहो।"

कितना सहज है ज्ञानसंयुक्त जीवन ! यदि हम इस कर्मसिद्धान्त को मान लें और जान लें तो पूर्वकृत घोर से घोर कर्म का फल भोगते हुए भी हम दुःखी नहीं होंगे बल्कि अपने चित्त की समता बनाये रखने में सफल होंगे


बुधवार, 15 नवंबर 2023

VRL Logistics Ltd

 

भारत मे किसी भी हायवे पर आपको ३० मिनिट के आसपास आपको ग्रे कलर मे एक लंबी चेसीस वाली ट्रक या बस  दिख ही जायेगी जिसके उपर VRL लिखा होगा बडे शहरो मे VRL कंपनी की बसे पुरे भारत मे दिख जाती है क्या है VRL का कार्य कितने लोग काम करते है VRL कंपनी मे आओ जानने का थोडासा प्रयास करे 

VRL का अर्थ  विजयानंद रोड लाईन्स लिमिटेड ऐसे होता है १९७६ मे श्री डॉक्टर विजय संकेश्वर और डॉक्टर आनंद संकेश्वर इन्होने कर्नाटक के हुबळी मे इस व्यापार की शुरुवात की VRL की हर ट्रक के पीछे एक मोबाईल नंबर लिखा होता है जिसका अर्थ ट्रक चलाने के ड्रायव्हर चाहिये ९३४२५५९३२७ ये नंबर है VRL ट्रक पर लिखा होता है जिस ड्रायव्हर भाई को नौकरी की तलाश है उसे ट्रक चालक की नौकरी इंटरव्ह्यू मे सफल होने पर मिल सकती है.पुरे भारत वर्ष मे VRL के करीब 1000 से अधिक शाखाये है जिनसे यह कारोबार चालाया जाता है. २०००० से अधिक कर्मचारी VRL मे काम करते है. १५०० से अधिक VRL बसेस बडे शहरो मे चलती है ७०० से ज्यादा तो VALVO की बसे २४ से ज्यादा राज्यो मे हररोज ३५० से ज्यादा मार्गो पर दिन रात सेवा दे रही है.

ट्रक की बात करे तो VRL कंपनी मे ९००० से ज्यादा ट्रक पुरे भारत वर्ष मे दिन रात सेवा दे रहे है मिली जानकारी के अनुसार VRL कंपनी के मलिक डॉक्टर विजय संकेश्वरजी ने बडे पैमाने पर ASHOK LAYLOND कंपनी के ट्रक को ही ज्यादा महत्व देते है अधिक मात्रा मे ट्रक ASHOK LAYLOND के ट्रक ही अपने कंपनी मे शामिल कर लेते है इसके पिछे उनकी एक रणनीती हो सकती है और होनी भी चाहिये सभी ट्रक की कॅबीन एक सारिकी फायबर से बनी होती है किसी कारण से दुर्घटना हो तो चालक की जान को खतरा न नो इसलिये एक ही आकार वाली ट्रक की कॅबीन सारे ट्रक मे लगाई जाती है. VRL मे चालक को सम्मान की जिंदगी जिने का पुरा खयाल रखा जाता है शायद ये देश की एकमात्र ऐसी कंपनी है जहा हर ट्रक ड्रायव्हर का 45 लाख रुपयो का बिमा कंपनी की तरफ से  किया जाता है यदी किसी दुर्घटनावश ड्रायव्हर की मृत्यू हो जाती है तो उसके परिवार को वह बिमा राशी दी जाती है 

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

व्यापारातील अलिखित नियम


अनेक व्यापारी वर्गात आप आपल्या व्यापाराचे काही ठराविक नियम असतात. तसेच काही व्यापारी समूहाचे सुद्धा काही ठराविक अलिखित नियम असतात. त्यापैकी एक लिखित नियम इलेकट्रोनिक मार्केट मध्ये सहज गतीने दिसत नसला तरी अनुभवायला मिळाला. काही राजस्थानी मंडळी एकत्र येऊन मार्केट मध्ये इलेक्ट्रॉनिक सामानाची दुकाने थाटून बसलेली आहेत वर्षाला अनेक नवीन दुकाने ते लोक मिळेल त्या ठिकाणी शहरात थाटत असतात . एकाच प्रकारच्या इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तूंच्या विविध कंपनीच्या डिलरशिप वेगवेगळे दुकानदार घेतात जर उदाहरण पाहायचे झाल्यास आपण ups चे घेतले तर एकाकडे intex दुसऱ्याकडे iball तिसऱ्याकडे microtek अशी विविध कंपनीची डिलरशिप हे लोक घेतात जर तुम्ही intex डीलर च्या दुकानात गेलात तर मोठ्या प्रमाणात तुम्हाला इंटेक्स ups दिसतील तो तुम्हाला योग्य किमतीत ते खरेदी करण्याचं सल्ला देईल तो ups कसा चांगला आहे हे पटवून देईल जर तुम्ही दुसऱ्या तिसऱ्या कंपनीच ups विचारले तर उपलब्ध असेल तर दाखवेल नाही तर गोदामातून आणून देतो म्हणून ५ मिनिटात तुमच्या समोर हजर करेल. किमतीत ५०  ते १०० रुपये एवढच फरक असेल. समजा तुम्ही दुसऱ्या दुकानात गेलात तर तो त्याच्याजवळ ज्या कंपनीचे ups असेल तो ते दाखवेल व जर तुम्ही त्याला दुसऱ्या तिसऱ्या कंपनीच ups विचारले तर उपलब्ध असेल तर दाखवेल नाही तर गोदामातून आणून देतो म्हणून ५ मिनिटात आणून तुमच्या समोर हजर करेल. पहिल्या दुकानदाराने सांगितलेला intex ups  किमतीत ५०  ते १०० रुपये वाढलेले असेल एवढाच फरक असेल. का होते असे तर एकदम साधे लॉजिक आहे त्या सर्व दुकानदाराना माहित आहे की हा ग्राहक चार दुकानात चौकशी करून आलेला आहे व तो ज्या कंपनीचे नाव प्रथम घेत आहे त्याने त्या ups बद्दल चौकशी केलेली आहे. एकतर ग्राहक त्या पहिल्या दुकानात जाऊन स्वस्त किमतीला तो ups खरेदी करेल किव्हा त्याच्याकडे उपलब्ध असलेला ups खरेदी करेल. जर त्याच्याकडे उपलब्ध  नसलेला ups तुम्ही मागितला तर गोदामातून आणून देतो म्हणून ५ मिनिटात आणून तुमच्या समोर हजर करेल. सोबत एक कागद दुकान मालकाच्या हातात दुकानातील नौकर देईल त्याच्याशी तुम्हाला काहीही घेणेदेणे नसते. तुम्ही ठरलेली रक्कम देऊन बिल घेऊन निघून जाता. इथे तुमचा व्यवहार संपतो आणि त्यांचा व्यापार चालू होतो. आठवडाभर सामानाची देवाण घेवाण सर्व  दुकानातून होत असते कुणीही प्रत्येक व्यवहाराला नगदी पैसे देत नाही. पण शनिवारी किव्हा रविवारी सर्व व्यापारी आप आपला सर्व हिशोब करतात कुणी कोणता माल कोणत्या व्यापाऱ्याला किती दिला होता. किती रुपये घेणे देणे आहे त्याचा सर्व हिशॊब नगदी किव्हा चेकने पूर्ण केला जातो. का केले जाते असे ? व्यापारात खूप स्पर्धा आहे अनेक कंपन्या आहेत मग ते व्यापारी साप्ताहिक बैठकीत आपआपसात ठरवितात की कुठल्या कंपनीचा कुठल्या मालाची कुणी डिलरशिप घ्यायची जेणेकरून व्यापारात स्पर्धा होणार नाही बाजारपेठ काबीज करायची असेल तर एकोपा आवश्यक आहे हे तत्व त्यांनी स्वतःहून अंगिकारले आहे. सर्वांजवळ सर्व वस्तूंचा स्टाक असण्यापेक्षा एका कंपनीचा स्टाक एकाजवळ असल्यास सर्वाना सुविधा होईलच असे धोरण ते सर्व मिळून आखतात व यशस्वीपणे अगदी शांतपणे देखावा न करता व्यापार करतात.